इस राज्य के किसानों को बड़ा झटका, FCI ने रोकी धान की खरीद, अटके सैंकड़ो करोड़ रुपये

Indiajobpost, देश भर की मंडीयों में सरकार द्वारा धान की खरीद का कार्य जोरों पर है। पर इसी बीच खबर आ रही है। कि FCI (फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) ने पंजाब राज्य में धान की खरीद बीच में रोक दी है। अब जिन किसानों ने धान सरकार को बेच दिया है। उनको अपने भुगतान के लिए इंतजार करना पड़ेगा। FCI को फूड सप्लाई विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल के चलते यह फैसला लेना पड़ा। किसानों के बीच FCI के इस फैसले से काफी नाराजगी भी है. किसानों का कहना है कि FCI, जल्द से जल्द धान की खरीद फिर से शुरू करे और बकाया राशि का भुगतान भी किसानों को करे. कहा जा रहा है कि फूड सप्लाई विभाग के कर्मचारी पिछले एक सप्ताह से हड़ताल पर हैं.
वहीं, हड़ताल खत्म करने के लिए सरकार फूड एंड सप्लाई विभाग के कर्मचारियों को भी मना रही है. इसके लिए फूड सप्लाई मंत्री लालचंद कटारूचक्क ने बुधवार को यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की और हड़ताल खत्म करने का अनुरोध भी किया. हड़ताल खत्म करने का आग्रह करते हुए मंत्री ने भरोसा दिया कि किसी भी निर्दोष से धक्केशाही बिल्कुल नहीं होगी. हालांकि, इसके बाद भी अभी कर्मचारियों ने हड़ताल खत्म नहीं की.
अब तक 1.82 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी
दैनिक भास्कर के अनुसार , पंजाब में अभी तक 1.82 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की भी जा चुकी है. जबकि, सरकार ने 2 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा धान खरीदी का लक्ष्य भी बना रखा है. पंजाब में नेशनल फूड सेफ्टी ऐक्ट के तहत अनाज प्राप्त करने वाले 16 लाख से ज्यादा लोगों को आने वाले दिनों में मुश्किलों का सामना भी करना पड़ सकता है. अगर इसी तरह से हड़ताल जारी रही तो तो मिलों में तैयार किए गए चावल को स्वीकार करने में भी अब देरी होगी. ऐसे में राज्य सरकार भी किसानों को भुगतान करने में देरी करेगी.
दिल्ली की मंडियों में 2900 से ऊपर पहुंच गया गेहूं का भाव
आपको बता दें कि खुदरा गेहूं और आटा के दाम में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इससे आम लोगों का आर्थिक बजट भी बिगड़ गया है. महंगाई का आलम यह है कि प्रदेश में आटे की कीमत 35 से 40 रुपए किलो तक भी पहुंच गई है. जबकि, जानकारों का कहना है कि अगले साल जनवरी में आटा और अधिक महंगा हो सकता है. पंजाब की मंडियों में थोक में गेहूं के दाम 2800 रुपए प्रति क्विंटल तो दिल्ली की मंडियों में 2900 से ऊपर यक पहुंच गया है.
मॉनसून ने धान के क्षेत्र को 4% तक कर दिया कम
कल ही खबर सामने आई थी कि खुले बाजारों में अनाज की कमी के कारण पिछले एक साल में गेहूं के आटे (आटा) की कीमतों में 17% तक की वृद्धि हुई है. मिलरों ने सरकार से अपने स्वयं के भंडार से अनाज जारी करने का आग्रह भी किया है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, कम आपूर्ति के कारण गेहूं के आटे की कीमतें 36.98 रुपये प्रति किलोग्राम के अखिल भारतीय दैनिक औसत खुदरा मूल्य पर चावल के करीब 37.96 रुपये प्रति किलोग्राम के बराबर भी हो गई हैं. इस वर्ष एक अनियमित मॉनसून ने धान के रकबे को 4% तक कम कर दिया.
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