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मानसून की ज्यादा बारिश से खरीफ फसलों को नुकसान, कृषि विभाग का सर्वे जारी किसानों को मुआवजे का इंतजार

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वैसे तो इन दिनों मानसून की बारिश ने देश भर में कहर बरपा रही है। और महाराष्ट्र में जुलाई के पहले दिन से बारिश लगातार कहर बरपा रही है। और इस भारी बारिश से विदर्भ और मराठवाड़ा में फसलों को बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचा है. यहाँ बीते दो दिनों से बारिश कुछ हद तक कम हुई है। पर मौसम विभाग ने बताया की बारिश का खतरा अभी टला नहीं है क्योंकि अभी और बारिश के आसार है  यहाँ गोंदिया जिले में हुई लगातार 15 से 20 दिनों की बारिश के कारण न केवल खरीफ की फसलों को ही नुकसान नहीं पहुंचा है बल्कि जिले में कृषि भूमि भी अब बिल्कुल नष्ट हो गई है. बता दे कि गोंदिया को राइस सिटी के नाम से भी जाना जाता है,क्योंकि यहाँ मुख्य उत्पादन चावल का ही होता है। लेकिन इस बार की बारिश से जिले में लगभग 208 हेक्टेयर धान की फसल को नुकसान होने का भी अनुमान जताया गया है. कृषि विभाग की ओर से अब फसल निरीक्षण और पंचनामा भी शुरू हो गया है. कृषि विभाग के अधिकारी सीधे खेतों में पहुच कर निरीक्षण भी कर रहे हैं. साथ ही कहा गया है कि इस संबंध में 8 दिन में सारी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंप दी जाएगी. वहीं किसान जल्दी मुआवजे की मांग भी कर रहे हैं.

विदर्भ में हर साल कम वर्षा होने पर धान की बुवाई भी नहीं की जाती थी, लेकिन इस साल सारी तस्वीर बदल गई है. जून में बारिश में हुई देरी के कारण किसानों को दोहरी बुवाई का संकट भी किसानों को झेलना पड़ा. इसके बाद जुलाई में शुरू हुई तेज बारिश के कारण रोपे गए क्षेत्रों में पानी भर जाने से फसलों का नुकसान भी हुआ है. खेतो में पानी जमा होने से फसल अब सड़ने भी लगी है. मौसम की शुरुआत में औसत से अधिक वर्षा होने के कारण उत्पादन में गिरावट का खतरा हमेशा बना ही रहता है. फिलहाल अभी पंचनामा भी शुरू हो चुका है और किसान जल्दी इस आर्थिक संकट से निकलने की उम्मीद भी कर रहे हैं.

जिलें में पंचनामा का काम हुआ शुरू

खरीफ सीजन के कुछ इलाकों में जैसे ही धान की फसल बोई गई, वैसे ही बारिश भी शुरू हो गई, इसलिए विभाग द्वारा फसलों का निरीक्षण नहीं हो सका. पिछले दो दिनों से बारिश रुकने के बाद कृषि विभाग ने निरीक्षण का काम तेजी से शुरू कर दिया है. इसके अलावा जिले में क्षतिग्रस्त क्षेत्र में फसलों का पंचनामा भी अब शुरू हो चुका है. कृषि विभाग के अधिकारी सीधे किसानों के बांध पर ही पहुंच रहे हैं. अब तक के निरीक्षण में सामने आया है सबसे ज्यादा नुकसान धान की फसल को होता दिखाई दिया है. उसके बाद कपास की खेती को भी बहुत भारी नुकसान हुआ है.

जिलें में धान की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान

जिलें में धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल भी है. जून में बारिश में हुई देरी के कारण किसानों ने कम बारिश में रोपाई कर दिया था, लेकिन कुछ इलाकों में पौधरोपण के साथ ही शुरू हुई बारिश 20 दिनों लगातार जारी रही. इससे जिले में 208 हेक्टेयर फसल को भी नुकसान पहुंचा है. इसके अलावा कृषि विभाग का भी अंदाजा है कि इसमें और बढ़ोतरी होगी. इस साल विदर्भ जिले  के किसान भी प्रकृति के कहर से प्रभावित हुए हैं. किसान अब सरकारी आर्थिक मदद का इंतजार कर रहे हैं.

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