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खुशखबरी: गन्ना किसानों को मिलेगा लाभ,देश में चीनी निर्यात को मंजूरी मिलने के आसार

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Indiajobpost, New Dehli, Sugar Exports: देश में बढ़ती महंगाई के बीच केंद्र सरकार ने बीते दिनों चावल,गेहूँ सहित कई चीजों के निर्यात पर रोक लगा दी थी। अब आगामी अक्टूबर में शुरू होने वालें नए मार्केटिंग साल में भारतीय सरकार पहली खेप में 50 लाख टन तक चीनी निर्यात की अनुमति भी दे सकती है. यह जानकारी सूत्रों के हवाले से सांझा की गई है। चीनी निर्यात से जुड़े एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बातचीत में बताया, “आने वाले दिनों में 50 लाख टन चीनी निर्यात करने की अनुमति दिए जाने की उम्मीद बन रही है. अगले शुगर ईयर में उत्पादन के बारे में बेहतर समझ होने के बाद हम 30 से 50 लाख टन चीनी निर्यात की और अनुमति भी दे सकते हैं.” अधिकारी ने आगे कहा कि हालांकि अगले साल के उत्पादन के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलना अभी बहुत मुश्किल भी है, लेकिन शुरुआती अनुमान द्वारा जारी आँकड़े बताते हैं कि 2022-23 में चीनी उत्पादन इस साल के रिकॉर्ड 360 लाख टन के आसपास तक रहेगा.अगर निर्यात को मंजूरी मिलती है। तो देश के किसानों को इसके लाभ मिलने के पूरे आसार भी है।   

बता दे कि 1 अक्टूबर, 2022 को, जब नया सीजन शुरू होगा, पिछले सीजन से मिलों का कैरीओवर स्टॉक एक साल पहले के 80 लाख टन के मुकाबले 60 लाख टन तक होने की उम्मीद है. वही एक अन्य सूत्र ने बताया, “लोकल मांग , देश में इथेनॉल प्रोडक्शन की जरूरत और उनके वार्षिक कैरीओवर स्टॉक के लिए मिलों की पूरी जरूरत को ध्यान में रखते हुए हमें लगता है भारत के पास 2022-23 वर्ष में एक बड़ा निर्यात योग्य सरप्लस उपलब्ध होगा.” उन्होंने आगे कहा, “लेकिन फसलों और कृषि उत्पादन को प्रभावित करने वाले अनिश्चित मौसम के कारण हम एक बार में 80 या 90 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति नहीं देना चाहते, हम इसे लेकर काफी सतर्क रहेंगे.”

जानकारी के लिए बता दें कि भारत ने इस साल की शुरुआत में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. वहीं, पिछले हफ्ते चावल के शिपमेंट पर भी देश में प्रतिबंध लगा दिया गया है. यह फैसला प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों की वजह से उत्पादन और रोपण के प्रभावित होने के चलते किया गया है. भारत की घरेलू चीनी खपत लगभग 2.75 करोड़ टन तक होने का अनुमान है और मिलों द्वारा 2022-23 सीज़न में इथेनॉल प्रोडक्शन के लिए 45 लाख टन चीनी का इस्तेमाल किए जाने की उम्मीद भी है. मिलें अपने वार्षिक कैरीओवर स्टॉक के रूप में कम से कम 60 लाख टन चीनी को अलग ही रखेगी.

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