देश के सरसों उत्पादन में 29% का भारी उछाल, क्या भारत में खाद्य तेल निर्यात पर पड़ेगा असर

देश के लिए तिलहन उत्पादन के लिए अच्छी खबर आ रही है। अब तिलहन उत्पादन भी बढ़ रहा है। खासतौर पर सरसों के उत्पादन में भारी बढ़ोतरी हुई है। इसकी बड़ी वजह सरसों का अच्छा दाम। बीते 2 सालों में सरसों का भाव MSP से अधिक मिल रहा है। ऐसे में किसान सरसों की बुवाई अन्य फसलों की बजाय अधिक कर रहे है। और परिणामस्वरूप बीते 2 सालों में सरसों का उत्पादन 29% बढ़कर 91.24 से 117.46 लाख टन हो गया है।
रबी अभियान पर आयोजित एक कृषि सम्मेलन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सरसों का उत्पादन बढ़ने का जिक्र भी किया. उन्होंने कहा कि देश में सरसों की उत्पादकता में 10 % वृद्धि दर्ज हुई है. इसका उत्पादन 1331 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़कर अब 1458 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक हो गया है. वही रेपसीड और सरसों का रकबा 2019-20 में 68.56 से 17 % बढ़कर 2021-22 में 80.58 लाख हेक्टेयर तक हो गया है.
अब सोयाबीन और सूरजमुखी मिशन
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरसों का बढ़ा हुआ उत्पादन पाम ऑयल और सूरजमुखी तेल के आयात को कम करने में भी मदद करेगा. सरकार अब सरसों मिशन की तर्ज पर विशेष तौर पर सोयाबीन और सूरजमुखी मिशन भी देश में लागू कर रही है. ताकि इसका उत्पादन और अधिक तेजी से बढ़े और भारत जल्द से जल्द तिलहन के मामले में भी भारत आत्मनिर्भर हो. जानकारी के लिए भारत खाद्य तेल की अपनी जरूरतों का लगभग 65 % इंपोर्ट करता है.
खाद्य तेल पर कब खत्म होगी दूसरे देशों की निर्भरता
भारत में सालाना लगभग 70 हजार करोड़ रुपये का खाद्य तेल आयात भी होता है. क्योंकि अपने देश में तिलहन फसलों का उत्पादन काफी कम भी है. इस समय हम पाम ऑयल का आयात सबसे ज्यादा भी कर रहे हैं. जबकि यह तेल सेहत के लिए अच्छा भी नहीं माना जाता. कुल मिलाकर हम खाद्य तेल के मामले में इंडोनेशिया, मलेशिया और रूस पर ही निर्भर हैं. भारत में खाद्य तेलों की कमी की वजह से ही पिछले एक साल में इसका दाम काफी बढ़ भी चुका है.
देश में सबसे ज्यादा सरसों कहां पैदा होती है?
केंद्रीय कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार सरसों उत्पादन में राजस्थान अव्वल भी है. यहां अकेले देश का लगभग 40 सरसों उत्पादन होता है. दूसरे नंबर पर हरियाणा है जहां देश की करीब 14 % सरसों पैदा की जाती है. सरसों उत्पादन में मध्य प्रदेश की हिस्सेदारी 12 % , उत्तर प्रदेश की 11 और पश्चिम बंगाल की 9 % है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक गेहूं के मुकाबले सरसों की खेती में ज्यादा लाभ है. क्योंकि इसका दाम से MSP से डबल तक पहुंच जाता है. ऐसे में किसानों को तिलहन खासतौर पर सरसों की खेती पर फोकस करने की भी जरूरत है.
रोजाना मंडी भाव के लिए यहां टच कर व्हाट्सप्प ग्रुप से जुड़े
ये भी पढ़े:मंडी भाव 8 सितंबर 2022: धान 1509, नरमा, सरसों, गेहूं, तारामीरा, मोठ, मूंग इत्यादि फसलों का भाव
ये भी पढ़े:खुशखबरी: किसानों दिए जायेंगे 20 हजार सोलर पंप, जल्द करें अप्लाई
ये भी पढ़े:सूखा प्रभावित किसानों को यूपी सरकार की राहत, ट्यूबवेल का बिल माफ