india job post

Rabi Season Crops 2022: रबी की दलहनी फसलों की पूरी पैदावार लेने के लिए अपनाएं कृषि विशेषज्ञों की यह सलाह

अगर आप भी दलहनी फसलों की खेती करने का प्लान बना रहे हैं तो रबी सीजन आपके लिए एक बढ़िया सीजन साबित हो सकता है.
 | 
corps

रबी सीजन की फसलों (Rabi Season Crops) की बुआई मुख्यत: अक्टूबर से नवम्बर का महिना सही रहता है. इन फसलों की बुआई के टाइम कम तापमान की जरूरत होती है, साथ ही फसल पकते समय खुश्क और गर्म वातावरण भी जरूरी होता है. 

रबी सीजन (Rabi Season) में गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों आदि फसलों की खेती को मुख्य स्थान मिलता है. मौजूदा टाइम में किसानों ने रबी फसलों (Rabi Crops) की बुआई की तैयारी करत सकते हैं. बता दें कि रबी सीजन की फसलों (Rabi Season Crops) की खेती करते समय सिंचाई के लिए नलकूप, तालाब, कुएं और भूमिगत जल संसाधनों पर आश्रित होना पड़ता है. ऐसे में किसानों को अपनी खेती की कार्य योजना सोच विचार करके बनानी चाहिए.

इसी बीच चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कृषि विशेषज्ञों ने रबी फसलों (Rabi Crops) की के तहत आने वाली दलहनी फसलों की सुरक्षा के लिए कई जरूरी सलाह दी गई है. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अगर किसानों को अपने खेतों से रबी फसलों की बढ़िया पैदावार लेनी हैं, तो इसके लिए उन्हें कुछ जरूरी सावधानी बरतनी पड़ेगी. इनमे किसान उकठा, जड़, झुलसा, रतुआ, चूर्णित और आशिता रोगों से बचा सकते है.

कृषि विशेषज्ञों ने चना, मसूर और मटर में लगने वाले रोगों की रोकथाम के लिए टीकाकरण आवश्यक है. उनका मानना है कि अक्सर दलहनी फसलों में फफूंदी और जीवाणु जनित रोग जैसे जड़ सड़न, झुलसा, उकठा, रतुआ, चूर्णित और आशिता रोगों का प्रकोप बनता है. इसकी रोकथाम के लिए किसानों को कुछ विशेष सावधानी आवश्यक है.

दलहनी फसलों में टीकाकरण जरूरी 

किसानों को बुआई से पहले मृदा शोधन जरूरी होता है. एक हेक्टेयर फसल के लिए 1 किलो ट्राइकोडर्मा को 25 किलो गोबर की खाद में मिलाएं और बुआई के 15 दिन पहले शाम के समय खेत में मिलानी चाहिए. इसके बाद हल्की सिंचाई जरूरी है.

उकठा रोग का प्रबंधन 

इस रोग का प्रबंधन करने के लिए गहरी जोताई और बुआई के पहले 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलोग्राम बीज की दर से मिट्टी में छिड़क दें.

झुलसा रोग का प्रबंधन 

इस रोग से फसल को बचाने के लिए 2 ग्राम कार्बेंडाजिम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज शोधित कर बुआई करें.

मसूर में रतुआ रोग का प्रबंधन 

इसके लिए खड़ी फसल में अनुशंसित कीटनाशक का छिडकाव करना होगा.

मटर में चूर्णित आसिता रोग का प्रबंधन 

इसके नियंत्रण के लिए कैराथीन 3 ग्राम 700 लीटर पानी में घोलकर खड़ी फसल में प्रयोग करके किसान मटर में लगने वाले चूर्णित आसिता रोग को रोक सकते हैं.

ये भी पढ़े: Egyptian Clover: सर्दियों में दुधारू पशुओं के लिए फायदेमंद होता है यह चारा, इतने दिन में हो जाता है तैयार

ये भी पढ़े:Potato Crop Weed Management: आलू की खेती के शुरुआती दिनों में इस तरह करें खरपतवार प्रबंध

ये भी पढ़े:Paddy Crop: किसानों के लिए खुशखबरी, धान की फसल में बौनेपन रोग का मिल गया इलाज, जानिए रोकथाम के उपाय

ये भी पढ़े:Green Fodder Cultivation: हरे चारे की खेती करने पर किसानों को मिलेंगे 10 हजार रुपये, इस तरह करें आवेदन

ये भी पढ़े:Monsoon 2022: मौसम विभाग ने दी खुशखबरी, इस महीने जमकर होगी बारिश

ये भी पढ़े:Kissan Credit Card: किसान क्रेडिट कार्ड होने वाले है ये बड़े बदलाव, RBI करेगा ये काम