नई फसल की मंडियों में आवक से 4,500 रुपये तक गिर सकता है सोयाबीन का भाव

देश की मंडियों में नई सोयाबीन की आवक से मंडियों सोयाबीन का भाव 4500 रुपये प्रति क्विंटल के निचले स्तर तक भी नीचे जा सकता है. बाजार जानकारों के अनुसार चालू खरीफ सत्र में सोयाबीन की बंपर फसल उत्पादन की संभावना और सरसों का अधिक स्टॉक व मलेशिया जैसे देश द्वारा क्रूड पाम ऑइल की कीमतों में आई गिरावट से सोयाबीन के दामों में लगातार गिरावट का रुख बना हुआ है।ओरिगो ई-मंडी के असिस्टेंट जनरल मैनेजर (कमोडिटी रिसर्च) तरुण तत्संगी के अनुसार इंदौर में सोयाबीन का भाव हमारे अनुमान मुताबिक 5,500 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर तक पहुंच गया है.
जनरल मैनेजर (कमोडिटी रिसर्च) तरुण तत्संगी के अनुसार हम सोयाबीन के 6,800 रुपये के स्तर से लगातार मंदी जारी हैं और आगे चलकर दाम 5,000 रुपये के निचले स्तर को भी छू सकता है. नई फसल की आवक बढ़ने पर सोयाबीन का भाव 4,500 रुपये 4,800 रुपये के निचले स्तर तक भी नीचे जा सकता है. हालांकि उनका कहना है कि इन स्तरों के नीचे और गिरावट की उम्मीद भी नहीं है और सोयाबीन का दाम इस स्तर पर लगातार स्थिर हो सकता है और खरीदार इस दाम के आस-पास सक्रिय भी हो जाएंगे.
अब कौन कर रहा है सोयाबीन की खरीद
तरुण आगे कहते हैं कि क्रूड सोयाबीन ऑयल और सूरजमुखी ऑयल पर आयात शुल्क को खत्म करने, इंडोनेशिया, मलेशिया से सीपीओ व पामोलीन की ज्यादा सप्लाई और सूरजमुखी ऑयल के आयात में बढ़ोतरी अभी भी सोयाबीन की कीमतों में गिरावट के लिए वैध कारण भी नजर आ रही हैं. उनका कहना है कि इंडस्ट्री में अभी निराशा की भावना जारी है. दरअसल, ऑयल और ऑयलसीड में भारी उतार-चढ़ाव नई सामान्य स्थिति भी हो गई है और इसी को लेकर हमने हमने विभिन्न उद्योगपतियों के साथ बात की है.कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव की वजह से मिलर्स और प्रोसेसर अपनी इकाइयों को चलाने के लिए स्टॉक की एक छोटी मात्रा रखने के लिए घबरा भी रहे हैं, क्योंकि वे भावों में भारी उठापटक के लिए अपनी कारोबार को जोखिम में भी नहीं डालना चाहते हैं. मिलर्स और प्रोसेसर अपनी रोजाना की जरूरतों को पूरा करने के साथ ही ऑर्डर के आधार पर ही फिलहाल खरीदारी कर रहे हैं.
बीते साल के समान है सोयाबीन की बुआई का रकबा
इस साल 2 सितंबर 2022 तक देशभर में सोयाबीन की बुआई 120.4 लाख हेक्टेयर तक हुई थी, जो कि पिछले साल के 120.60 लाख हेक्टेयर के समान है. सोयाबीन की बुआई अब लगभग खत्म हो चुकी है. अब सोयाबीन के रकबे में बहुत अधिक बदलाव होने के आसार नहीं हैं. यानी उत्पादन भी पिछले साल के आसपास ही रहने का अनुमान बना हुआ है. हालांकि, कई राज्यों में सोयाबीन की फसल में येलो मोजेक बीमारी का बहुत बुरा असर हुआ है. इससे फसल उत्पादन का बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है.
देश में खाद्य तेल आयात में बढ़ोतरी
जुलाई 2022 में भारत का खाद्य तेल आयात मासिक आधार पर 28 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 12,05,284 टन तक दर्ज किया गया था. जबकि जून 2022 में यह आंकड़ा 9,41,471 मीट्रिक टन तक था. हालांकि, सालाना आधार पर आयात में 31 % की बढ़ोतरी भी दर्ज की गई थी. जुलाई 2021 में 9,17,336 मीट्रिक टन तेल आयात हुआ था. नवंबर 2021 से जुलाई 2022 तक भारत का खाद्य तेल का कुल आयात 9.70 मिलियन मीट्रिक टन तक दर्ज किया गया था, जबकि पिछले ऑयल वर्ष की समान अवधि में कुल आयात 9.37 मिलियन मीट्रिक टन तक था.
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