Wheat price: गेहूं की बढ़ती कीमतों के कारण सरकार अब बना रही यह प्लान, जानिए

Wheat price: देश में गेहूं की कीमतों में पिछले कुछ दिनों से तेजी देखने को मिली है. इस वजह से सरकार बढ़ी कीमतों पर नज़र रख रही है. गेहूं की बढ़ी कीमतों को लेकर अगस्त के तीसरे सप्ताह तक सरकार मीटिंग बुला सकती है. सरकार के साथ इस मीटिंग में मिलर्स, कंपनियों और इम्पोर्टेर्स के शामिल हो सकतें हैं. इस मीटिंग में OMSS के अंतर्गत गेहूं उपलब्ध कराने पर विचार विमर्श होगा. इसके अलावा गेहूं इम्पोर्ट पर ड्यूटी घटाने पर भी चर्चा होने की पूरा अनुमान है. फिलहाल ताज़ा आंकड़ो के मुताबिक गेहूं इम्पोर्ट पर 40 प्रतिशत ड्यूटी है.
कीमतें अगर हुई बेकाबू तो सरकार करेगी हस्तक्षेप
मिडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार का यह कहना है कि ऐसा अनुमान है की गेहूं की उपलब्धता कम की समस्या नज़र आ रही है. और गेहूं का रेट एक लिमिट से अधिक बढ़ जाता है तो निश्चित तौर पर सरकार हस्तक्षेप करेगी. राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, गुरुवार को खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि फिलहाल स्थिति में 1 जुलाई 2022 तक गेहूं का केंद्रीय पूल स्टॉक खाद्यान्न भंडारण मानदंडों से काफी ऊपर है.
सरकार ने कही यह बात,
पीयूष गोयल ने कहा कि 1 जुलाई, 2022 तक, FCI व राज्य सरकार की एजेंसियों के पास 275.80 लाख टन मुकाबले केंद्रीय पूल में 285.10 लाख टन गेहूं का स्टॉक उपलब्ध है. सरकार ने मई में बढ़ती घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया था. सरकार ने गेहूं, आटा कीमतों के बढ़ने के बाद यह अहम फैसला लिया था. वाणिज्य मंत्रालय ने इस संबंध में नोटीफिकेशन जारी कर दिया था.
कितना हुआ निर्यात,
इसके अलावा यदि निर्यात के आंकड़ों के अनुसार साल 2021-22 में भारत का गेहूं निर्यात बढ़कर 70 लाख टन यानी की 2.05 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया. DGFT के आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में कुल गेहूं निर्यात में से लगभग 50 प्रतिशत खेप बांग्लादेश भेजी गई थी. पिछले साल इसी अवधि में 130000 टन के मुकाबले देश ने इस साल लगभग 963000 टन गेहूं का निर्यात किया. भारत को 2022-23 में एक करोड़ टन गेहूं का निर्यात करने की उम्मीद थी.
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